नन्हा सा बालक वो खेलता था सिंह से जो, शौर्य का रस रंग छलका हो भरत बनकर , धरा को अपने नन्हा सा बालक वो खेलता था सिंह से जो, शौर्य का रस रंग छलका हो भरत बनकर ...
आपके प्यार से जो संजोये है ख्वाब हमने, उस ख्वाबो को अब नया आसमान दे दो। आपके प्यार से जो संजोये है ख्वाब हमने, उस ख्वाबो को अब नया आसमान दे दो।
छोटी-छोटी चीज़ें हमें कई बार बड़ी-बड़ी खुशियों से भर देती हैं। छोटी-छोटी चीज़ें हमें कई बार बड़ी-बड़ी खुशियों से भर देती हैं।
गुज़रा वो वक्त जब हम साथ थे, हो गये मानो सभी आभास है, गुज़रा वो वक्त जब हम साथ थे, हो गये मानो सभी आभास है,
जो बेचारा हरिराम जो बेचारा हरिराम
यह जो समय यह जो समय